Poems
चुनरी दो गज की
अर्चना कोहली 'अर्चि' / November 16, 2024
चुनरी दो गज की सरकी तन से ओढ़नी, कैसी आई वात। बने आधुनिक आज हैं, झुकती नजरें तात।। चुन........
भूल रहे क्यों मानवता
अर्चना कोहली 'अर्चि' / November 04, 2024
सेल्फी की इस दौड़ में, मानवता दी त्याग। बनता दर्द मजाक है, मानव अब तो जाग।। करुणा होती लु........
मौन कर्म की साधना
अर्चना कोहली 'अर्चि' / September 23, 2024
मौन कर्म की साधना नहीं शिकन है माथ पर, करें साधना मौन। संतति खातिर सब सहें, समझे उनको कौन........
रणछोड़ कन्हैया
अर्चना कोहली 'अर्चि' / August 28, 2024
देख क्रूरता काल यवन की, छाया था आतंक। महादेव के वरदहस्त से, नृप था बहु निश्शंक।। चिंतित ज........
पुरुष
अर्चना कोहली 'अर्चि' / June 13, 2024
मिले पुरुष को हार है, कैसा वह लाचार। सहता वह हर वार है, मन में है चीत्कार।। कटु वचनों से टूटत........
करते रहना कर्म
अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 01, 2024
कैसा आया वक्त है, बदली हाथ लकीर। मार बुढ़ापे ने दिया, बनता गया फकीर।। फटा बाँस समझा म........
हरी-भरी हो धरा
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 26, 2024
देख दशा निज देश की, सिसके वसुधा आज। हुई प्रकृति बदरंग है, कौन करे अब नाज।। चहुँदिश में है गं........
कैसी लाचारी
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 03, 2024
सदा भूख से तड़पे संतति, दुर्बल उसका अंग हैं। जीवन में इच्छा बस रोटी, बिन उसके वे तंग हैं।।........
फैला नफरत का बाज़ार
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 01, 2024
फैला नफरतों का बाज़ार है चहुँदिश में मचा हाहाकार है। भाई-भाई में तकरार होती माता रो-........
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