हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / September 20, 2016
बदला बदला-सा जहान नजर आया
मुखाकृति को आवरण में छिपाया।
तरह-तरह के रूप लोग धर लेते
अश्रुओं को मुसकान से सजा लेते।।
जज्बातों को अंदर ही छिपा लेते
यथार्थ को कैसे दिल में छिपा जाते।
चेहरे पर चेहरा कैसे सब चढ़ा लेते
मुखौटे पर मुखौटा कैसे हैं चढ़ाते ।।
असत्य-क्रूरता कितने रूप धरे यहाँ
पग-पग पर कंस-दुर्योधन भरे यहाँ।
असली चेहरे पर नकाब लगा लेते
हर किरदार को सफाई से निभाते।।
सच्चाई पर ये सब अक्स हैं भारी
अच्छाई पर बुराई पड़ती है भारी।
काला चेहरा सबसे वे छिपा जाते
सफेद चेहरा सबको वे दिखलाते।।
कुछेक लोग रिश्ते-नाते छोड़ देते
अपना-पराया सब कुछ भुला देते।
नकाब में झूठी जिंदगी वे जी रहे
अनजान होकर मुखौटे लगा रहे।।
We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.
Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India
contact@archanakohli.com
archanakohli67@gmail.com