
अनमोल उपहार
May 17, 2024
अर्चना कोहली 'अर्चि' / February 16, 2025
वैलेंटाइन पड़ा जेब पर भारी
"आप आ गए।" प्यार से सोमेश का बैग उसके हाथ से लेते हुए मधु ने कहा।
"नहीं अभी ऑफिस में हूँ। बस चलने लगा हूँ।"
"आप भी अच्छा मज़ाक कर लेते हैं।अब आप जल्दी से फ्रेश होकर आइए। तब तक मैं आपके मनपसंद प्याज़ के पकौड़े बनाती हूँ।"
"आज पकौड़े किस खुशी में। कोई खास बात है क्या!" पकौड़े खाते हुए सोमेश ने पूछा।
"भूल गए, वेलेंटाइन डे आने वाला है।"
सोमेश की हालत पतली हो गई, पता नहीं इस बार कितने का चूना लगेगा। किसी तरह पूछा, "तो•••"
"तो क्या इस बार वेलेंटाइन पर मैंने अपने लिए खुद ही गिफ्ट पसंद कर लिया है। हर बार एक सस्ती से साड़ी और मेकअप के सामान से मुझे बहला देते हैं। इस बार वेलेंटाइन डे के लिए मैने अमेज़न से सच्चे मोतियों का रानी हार सेट ऑर्डर किया है। आपकी मेहनत भी बच गई।"
"कितने का है?" किसी तरह थूक को निगलते हुए सोमेश ने कहा।
"ज्यादा महँगा नहीं है। बस इक्कीस हज़ार का है। वैसे पसंद तो चालीस हज़ार का था पर आपकी जेब पर भारी पड़ जाता न। और हांँ ब्यूटी पार्लर भी जाना है तो मुझे पैंतीस हज़ार दे देना। काम चल जाएगा।" मधु ने लापरवाही से कहा।
हाय रे! यह वेलेंटाइन तो बहुत भारी पड़ा। सोमेश मन ही मन बुदबुदाया। मीठी चाय अब फीकी हो चुकी थी।
अर्चना कोहली 'अर्चि' (नोएडा)
स्वरचित रचना
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