बेटी मुझ पर बोझ नहीं
November 18, 2022
अर्चना कोहली 'अर्चि' / November 26, 2024
गूँज उठी शहनाई
"फिर वही हुआ, जिसका मुझे डर था। लड़केवालों ने भारती को देखते ही मना कर दिया। उसका साँवला रंग उसके गुणों पर भारी पड़ गया। पता नहीं कब हमारे घर में शहनाई गूँजेगी।" रमा ने उदासी से शेखर से कहा।
"भाग्यवान चिंता क्यों करती हो? भगवान के घर में देर है, अँधेर नहीं। हमारी भारती तो लाखों में नहीं करोड़ों में एक है"।
"उसकी सभी सहेलियाँ कब की अपने घर चली गई। पता नहीं कब इसका भाग्य खुलेगा।"
"अब छोड़ो भी। बहुत भूख लगी है। खाना लगा दो। वैसे भी यह सब तो ऊपरवाले के हाथ में है।"
एक साल बाद•••
"देख भाग्यवान गूँज उठी शहनाइयाँ। कल अपनी भारती का आकाश के साथ विवाह है, वो भी कितने अच्छे घर में।" शेखर ने रमा से कहा।
तभी कहीं दूर मेहँदी है रचनेवाली, हाथों में गहरी लाली गीत बज उठा।
अर्चना कोहली 'अर्चि' (नोएडा)
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