बेटी मुझ पर बोझ नहीं
November 18, 2022
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 05, 2024
"बेटा मिल गई तुझे माँ से मिलने की फुरसत। मेहमान अभी गए ही हैं कि बहू का नाटक शुरू हो गया। नीता ने गुस्से से मयंक से कहा।
क्यों क्या हुआ माँ। आज ऋतु ने ऐसा क्या कर दिया जो आप इस पर इतना भड़क रही हो।"
"जो नज़र आ रहा है, वही तो कह रही हूँ। ऐसा क्या हो गया, जो तू बहू का सिर दबा रहा था। क्या ज़माना आ गया है।"
"तो क्या हुआ। उसके सिर में बहुत दर्द था। उसने तो मना किया था। जब मेरी तबियत खराब होती है तो वह भी तो मेरा ध्यान रखती है। फिर कल से तबियत सही न होने पर भी काम में लगी रही। और तो और आप सबका भी ध्यान रखती है।"
"पर बेटा यह तो उसका कर्तव्य है।"
" हमारा भी तो उसका ध्यान रखना कर्तव्य है। फिर आप तो पड़ोस में सबसे कहती हैं, ऋतु अष्टभुजा हैं जो दो हाथ से आठ लोगों का काम कर लेती है। शिक्षिका, बहन, नर्स, डॉक्टर हर किरदार वह निभा लेती है। थोड़ा- सा मैंने उसका साथ दे दिया तो क्या हुआ। आखिर वह मेरी अर्धांगिनी है, कहकर मयंक ऋतु के लिए चाय बनाने चल पड़ा।
उधर यह सुनकर नीता निरुतर हो गई। आखिर मयंक सही तो कह रहा था। क्यों हम बेटी-बहू को एक तराजू में नहीं रख पाते।
अर्चना कोहली 'अर्चि'
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
(चित्र आभार: गूगल से )
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