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दुविधा

अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 04, 2024

"रिया। आज किस सोच में डूबी हो? क्या कोई दुविधा है?  मुझे बताओ, शायद मैं कोई मदद कर सकूँ।"

"भावना। राहुल ने मुझे आज शाम सात बजे तीन बत्ती चार चौराहे के पास उसका इंतज़ार करने को कहा है। कह रहा था, कोई ज़रूरी काम है। मैंने तो कहा था, घर पर आ जाओ। आराम से बात करते हैं, पर उसने मना कर दिया। समझ नहीं आ रहा जाऊँ या नहीं। वैसे भी उसने जिस चौराहे पर बुलाया है, वहाँ के तीन चौराहों पर तो अधिकतर अँधेरा ही  छाया रहता है।"

"तेरा सोचना सही है रिया। आजकल के माहौल में तो दिन में भी कोई सुरक्षित नहीं है। तू राहुल को मना कर दे।  वैसे भी ऐसा कौन- सा काम है, जो घर पर नहीं हो सकता। अँधेरे चौराहों पर वैसे भी असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। कहीं ऐसा न हो किसी मुसीबत में फँस जाए।  हमें तीन बत्ती की तरह हमेशा आँख-कान-नाक खुले रखने चाहिए। साथ ही हमें सोच समझकर ही सही चौराहे पर अपने कदम बढ़ाने चाहिए, ताकि हमारी जिंदगी सुखमय फूलों की तरह हमेशा महकती रहे।"

यह सुनकर रिया की दुविधा खत्म हो गई। उसने राहुल को मैसेज करके तीन बत्ती चार चौराहे पर आने से मना कर दिया। इससे राहुल का मुखमंडल स्याह हो गया। उसकी दोस्तों के साथ मिलकर रिया को बरबाद करके ब्लैकमेल करने की तरकीब पर पानी फिर गया।

अर्चना कोहली 'अर्चि'
नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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