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अपराजिता

अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 18, 2024

"अपराजिता जी बधाई हो। अखबार में पढ़ा, आपके उपन्यास एक और उर्मिला का चयन ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए किया गया है।" निखिल ने कहा।

"शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद निखिल" कहकर कुछ देर इधर-उधर की बातचीत के बाद अपराजिता ने फोन रख दिया।
 
"किसका फोन था अरु ?"  शिशिर ने पूछा।

"निखिल का। अखबार में खबर पढ़ी, मुझे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलने की तो बधाई के लिए फोन किया।"

"बधाई का तो अब ताँता लगा ही रहेगा अरु। मैं न कहता था, मेरी अपराजिता कभी हार नहीं सकती। आखिर जिसके नाम का अर्थ ही अजेय हो, वह कैसे हार सकती है।" शिशिर ने 
कहा। 

"आप को तो मौका चाहिए मेरी प्रशंसा करने का। मुझे झाड़ पर मत चढ़ाइए, ज़मीं पर ही रहने दीजिए।"

"अब काम ही इतना बड़ा किया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार पाना क्या कोई छोटी बात है!"

"मुझे तो अभी भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा। मेरी साधारण-सी लेखनी को इतना बड़ा सम्मान मिला है। यह सब आपके प्रोत्साहन से ही संभव हुआ है।"

"अब तो अपने को कम आँकना छोड़ो । यह सब तुम्हारे जुनून का ही परिणाम है। बस कारण मैं बना।"

"आप जैसा साथी हो तो सब आसान हो जाता है।" अपराजिता ने मन ही मन बुदबुदाते हुए कहा।

अर्चना कोहली 'अर्चि' 
उत्तर प्रदेश (नोएडा)

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