हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 01, 2024
फैला नफरतों का बाज़ार है
चहुँदिश में मचा हाहाकार है।
भाई-भाई में तकरार होती
माता रो-रोकर खुद को खोती।।
सबक प्रेम से सभी अब भूले हैं
ईर्ष्या से सारे जन अब फूले हैं।मानवता का पाठ कौन अब पढ़ता है
दूसरों को खींच ही आगे बढ़ता है।।
बिना कारण ही गलतफहमी पाली है
छोटे- बड़े की होड़ में हाथ खाली हैं।
रिश्तों में अब कितनी भरी सिलवटें हैं
दिन-प्रतिदिन ही बढ़ती करवटें हैं।।
आओ पुराना दौर हम फिर से लाएँ
द्वार अपनेपन के खोल खुशी मनाएँ।
मिल #अर्चना# नफरतों को तमाम करें
झुककर मुहब्बतों को सलाम करें।।
अर्चना कोहली 'अर्चि'
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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