Poems


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प्रेम है होती इक आराधना

अर्चना कोहली 'अर्चि' / November 19, 2022

प्रेम में होती है इक आराधना

निश्चल-निर्मल-सी ही साधना।

होता नहीं इसमें कोई अहंकार

यही तो हमारे जीवन का सार।।

राधा-कृष्ण की आत्मिक प्रीत

एक दूजे पर प्रेम था समर्पित।

मीरा भी कृष्ण की थी दीवानी

भक्ति उनकी पाने की ठानी।।

ईश से मिलने का यही सोपान

ईर्ष्या का नहीं इसमें है स्थान।

हीर-राँझा ने दी प्रेम-कुरबानी

चहुँदिश में फैली थी कहानी।।

प्रेम ही है रिश्तों की बुनियाद

इसी में तो बसे खुशी-निनाद।

प्रेम में खिल जाता अंग-प्रत्यंग

सच्ची प्रीत में होती नही जंग।।

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