बेटी मुझ पर बोझ नहीं
November 18, 2022
अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 29, 2021
सुनो जी, इस उम्र में अकेले कहाँ चल दिए। सत्तर साल के गए हो पर बचपना नहीं गया। कहीं गिर गए तो लेने के देने पड़ जाएँगे। शुभा ने विहान से कहा।
यहीं पास ही में जा रहा हूँ। तुम्हारा बस चले तो मुझे कमरे में ही बंद कर दो।
जाना ही है तो किसी को साथ ले जाओ। कोई साथी साथ में होना चाहिए।
मेरा साथी तो मेरे साथ ही है।
कौन! मुझे तो कोई नजर नहीं आ रहा।
छड़ी दिखाते हुए, यह है मेरा साथी।
आप भी! अच्छा जल्दी आ जाना।
जो हुकुम मेमसाब!
कुछ दूर जाकर…
ऑटो।
जी अंकल ही।
बैठते हुए, बाजार में साड़ियों की दुकान में छोड़ देना।
जी अंकल जी।
साड़ियों की दुकान पर…
भाई साहब, बनारसी साड़ी दिखाना।
भाई साहब अगर बता दें, किसके लिए चाहिए और किस रेंज में तो आसानी हो जाएगी।
जी अपनी पत्नी के लिए। रेंज की चिंता मत कीजिए।
यह देखिए। बिलकुल नया कलेक्शन आया है।
यह नहीं। वह जो सबसे ऊपर रखी है, वह दिखाइए।
रामू वह साड़ी निकालना।
जी देखिए।
हाँ यह अच्छी है। इसे पैक कर दीजिए।
घर पहुँचने पर…
पिता जी कब से आपका इंतजार कर रहे हैं। माँ भी मंदिर जाने की बात कहकर गई हैं। बहुत देर हो गई है। अभी तक नहीं आई। मैंने बहुत कहा, साथ चलने को पर नहीं मानी।
जितनी बुराई करनी है कर ले। फिर मौका मिले ना मिले, मां की आवाज आई।
माँ तुम आ गई। यह हाथ में क्या है! आप तो मंदिर गई थीं।
दादी बताओ न क्या लाई हो? पोती ने पूछा।
कुछ नहीं बिटिया।
बताओ न माँ, बेटे ने फिर से पूछा।
वो अगले सप्ताह हमारी शादी की पचासवीं सालगिरह है न तो… माँ ने हिचकते हुए कहा।
और पिताजी आप कहाँ गए थे?
मैं भी तेरी माँ के लिए गिफ्ट लेने गया था।
तो इसमें छिपाने की क्या बात है। हम आपको स्वयं ही बाजार ले जाते।
बेटा, हम वो क्या कहते है, सरप्राइज देना चाहते थे। माँ-पिता जी एक
साथ बोले।
अच्छा अब तो अपना सरप्राइज दिखला दो। अब तो सरप्राइज खुल गया।
सुनो जी पहले आप दिखलाइए।
खुद ही देख लो।
अरे वाह, बनारसी साड़ी! आपने मेरी बरसों की मुराद पूरी कर दी जी। बहू। तुम्हें एक राज की बात बताती हूँ।
क्या माँजी!
जब मेरी शादी हुई थी, तब मुझे बनारसी साड़ी पहनने का बहुत चाव था, लेकिन संयुक्त परिवार और जिम्मेदारियों के बोझ तले मेरी इच्छा दब गई।
और भाग्यवान तुम क्या लाई हो? विहान ने पूछा।
जी गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा। आपको बहुत पसंद था न!
वाह! माँ-पिताजी आपके प्रेम के आगे तो सौ ताजमहल न्योछावर हैं। बेटा बहू एक साथ बोले। जबकि विहान और शुभा दीन दुनिया से बेखबर एक दूसरे की आँखों में खोए हुए थे।
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