
बेटी मुझ पर बोझ नहीं
November 18, 2022
अर्चना कोहली 'अर्चि' / February 05, 2025
"मालकिन अगले हफ्ते मैं गाँव जा रही हूँ। चार दिन की छुट्टी चाहिए और एडवांस में कुछ पैसे भी।" रोशनी ने श्रेया से कहा।
"इस तरह अचानक? क्या हुआ?"
"वो मालकिन कल जेठानी का फोन आया था। वोट पड़ने वाले हैं। वोट डालकर आ जाऊँगी।"
"अकेली जा रही है क्या?"
"नहीं मालकिन बेटा और मरद भी जा रहे हैं।"
"धत तेरे की! सिर्फ़ वोट देने के लिए इतनी दूर गाँव जाओगे। हज़ार-दो हज़ार का चूना भी अलग से लगेगा। क्या ज़रूरत है!"
"ज़रूरत है मालकिन। सब वसूल हो जाएगा। एक वोट के लिए सारे नेता लोग हमारा घर पैसों से और चीज़ों से भर देते हैं। अपने सब सपने पूरा करने का यही तो सही समय है। वोट तो हमारे सपनों को पूरे करने की चाभी है।"
"तब तो वोट किसे देना है, यह निर्णय करना तो बहुत मुश्किल होता होगा।"
"बिलकुल नहीं। वोट तो हम अपनी मर्जी की पार्टी को ही देंगे। किसे वोट दिया, यह तो हमें ही पता है न!"
यह सुन श्रेया निरुत्तर हो रोशनी को देखती ही रह गई।
अर्चना कोहली 'अर्चि' (नोएडा)
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