माँ
May 15, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 25, 2024
होली का त्योहार है, बिखरे भू पर रंग।
हमजोली सब साथ हैं, खुशियाँ अब हैं संग।।
दमकी वसुधा आज है, खेला उसने फाग।
सुंदर टेसू खिल रहे, प्यारे लगते बाग।।
आई कोंपल आम में, कुहुकी श्यामा आज।
सतरंगी वसुधा हुई, छूटी सब है लाज।।
हरित हुए सब पात हैं, नाच रहा मन मोर।
मस्त हैं सब मतंग से, चहुँदिश में है शोर।।
अंबर भी रंगीन है, भीगे सबके गात।
झूमे सारे लोग हैं, जल की अब बरसात।।
हुई शीत की वापसी, सुहावनी है वात।
घर-घर ही गुझिया बने, सुंदर है सौगात।।
सबके मुखड़े लाल हैं, सजते अब हैं थाल।
खिले अर्चना देखकर, सिंदूरी हैं भाल।।
अर्चना कोहली 'अर्चि'
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