Poems


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मनपसंद

अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 29, 2021

मर्यादा-संस्कार है मेरा प्रिय गहना

लेखनी है मेरी शक्ति का आधार। 

अधूरे सपने इससे ही पूर्ण करूँगी

मन की आवाज़ अब मैं सुनूँगी।।

आत्मविश्वास-सच्चाई की मिसाल बनूँगी

अपनी पसंद का अब सब काम करूँगी।

दूसरों की पसंद का भी ध्यान रखूँगी

लेकिन अपनी अहमियत भी ना भूलूँगी।।

मायके-ससुराल की शान बनूँगी

भीड़ में अपनी अलग पहचान बनाऊँगी।

पुरानी सोच से निकल नई सोच अपनाऊँगी

लड़की होने पर शर्म नहीं गर्व करूँगी।।

अपनी मनपसंद मैं स्वय बनूँगी

सबको अपना मनपसंद बनाऊँगी।

न कि औरों की इच्छानुसार ढलकर 

उनकी मनपसंद बनूँगी।। 

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