
हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 23, 2023
भागीरथ के प्रयास का फल
गंगा जल देकर करती तरल।
कल-कल का मधुर निनाद
सभी के मन में भरे आह्लाद।।
वैकुंठ से हुई थी अवतरित
क्रोड़ में अनेक पुर संरक्षित।
पावन यह नदी मोक्षदायिनी
कहते अमृत जल प्रवाहिनी।।
गंगोत्री है इसका उद्गम-स्थल
प्रदूषण से जल हुआ है गरल।
जल कभी था शीतल-निर्मल
आज दुख से कर रही विह्वल।।
पार करती सदैव राह दुर्गम
बाधायें सहकर भी है अटल।
शिव की जटाओं से निर्गमन
पावनता हेतु होता है पूजन।।
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