Poems


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गंगा

अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 23, 2023

भागीरथ के प्रयास का फल

गंगा जल देकर करती तरल।

कल-कल का मधुर निनाद

सभी के मन में भरे आह्लाद।।

वैकुंठ से हुई थी अवतरित

क्रोड़ में अनेक पुर संरक्षित।

पावन यह नदी मोक्षदायिनी

कहते अमृत जल प्रवाहिनी।।

गंगोत्री है इसका उद्गम-स्थल

प्रदूषण से जल हुआ है गरल।

जल कभी था शीतल-निर्मल

आज दुख से कर रही विह्वल।।

पार करती सदैव राह दुर्गम

बाधायें सहकर भी है अटल।

शिव की जटाओं से निर्गमन

पावनता हेतु होता है पूजन।।

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