Poems


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माँ कौशल्या

अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 9, 2022

सुकौशल-अमृतप्रभा की  नंदिनी थी

बनी राजा दशरथ की ज्येष्ठ रानी थी।

जन्मस्थली था उनका कौशल प्रदेश

मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जननी थी।।

माता-पिता के मन की सुंदर कली थी

कौशल्या नाम से पहचान मिली थी।

बचपन से ही अद्भुत मूरत थी धैर्य की

सर्वदा धर्म के मार्ग पर ही वे चली थी।।

प्रेम-त्याग-तप की सुंदर मंदाकिनी थीं

परिस्थिति वश दुख की भागी बनी थीं।

सह लिया मौन रह राम वन-गमन को

राम के साथ शांता की भी जननी थीं।।

राम-कानन गमन में दुविधा में मन था

पुत्र के स्नेह में शिथिल हो गया तन था।

राम-सीता-लक्ष्मण को कर दिया विदा

पति हेतु पुत्र-वियोग किया सहन था।।

राम सम सभी पुत्रों से बहु दुलार किया

देवरानियों को भी अत्यधिक प्यार दिया।

महानता की पराकाष्ठा थी माँ कौशल्या

कैकेयी से भी न गलत व्यवहार किया।।

मानते चंदखुरी धाम है उनकी जन्मस्थली

माँ कौशल्या देवी बचपन में वहाँ थी पली।

विश्व का एकमात्र मंदिर है वहीं विद्यमान

रायपुर का वह मंदिर है सभी की ही जान।।

चित्र:आभार गूगल

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