गणपति वंदना
September 4, 2022
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 05, 2022
कैकेयी का कलंकित रूप ही हम सबने जाना
उज्ज्वल रूप किसी ने भी उसका न माना।
रामायण का सबसे विवादास्पद पात्र वह थी
अयोध्या नरेश दशरथ को सर्वाधिक प्रिय थी।।
सौंदर्य और वीरता का अद्भुत सम्मिश्रण थी
प्रेम का निर्मल और अप्रतिम सागर भी थी।
भरत से ज्यादा श्रीराम से उसने प्यार किया
अर्धांगिनी का हर फर्ज दिल से उसने निभाया।।
कैकेय देश के नरेश अश्वपति की सुपुत्री थी
युद्ध-कौशल में वह अत्यधिक ही निपुण थी।
देवासुर संग्राम में पति दशरथ के प्राण बचाए
दो वचन इसी कारण तो राजा दशरथ से पाए।।
कालचक्र ने उन्हें अपयश का भागी बना दिया
अति कठोर बन प्रिय राम को अरण्य भेज दिया।
इसी कारण वैधव्य भी उसके हिस्से में आ गया
पुत्र भरत ने भी उसे ही जिम्मेदार मान लिया।।
वास्तव में ईश-कार्य का निमित्त मात्र वह थी
कार्य-पूर्ति हेतु कलंक की अधिकारी बनी थी।
कोई भी उसके त्याग को समझ नहीं पाया
कोमल उसके हृदय को जान न कोई पाया।।
श्रीराम के वनवास-गमन का उसे दोषी माना
पुत्र भरत ने भी माता कैकेयी को न जाना।
ताउम्र सबके दंश को चुपचाप झेलती रही
पुत्र भरत के व्यंग्य-बाण वह सहती रही।।
वास्तव में अति निष्कलंक उनका चरित्र था
रावण नाश हेतु ये सब प्रपंच रचा गया था।
राम के मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का सोपान थी
रामराज्य की एक सुंदर कड़ी कैकेयी ही थी। |
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