Poems


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किताबों का संसार

अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 03, 2025

ज्ञान का अद्भुत संसार आज शांत है
किताबों की दुनिया आज क्लांत है।
गर्द से सनी हुई अलमारी में है आज
मोबाइल ने गिरा दी सिर पर गाज।।

भरती रहती वह छिप-छिप सिसकारी
नहीं रही अब सबके मन की दुलारी।
छाया हुआ है विचित्र-सा अब  मौन।
अपने में मस्त सब पढ़ता अब कौन।।

जीवन का  सब लेखा-जोखा किताब।
सुख-दुख के किस्सों का पास हिसाब।।
समझी पीड़ा, सँजोया जिसमें इतिहास
करना उनके दर्द का मिलकर आभास।।

गढ़ सुंदर शब्दों को लेखक पाते वाह।
उन्होंने ही हम सबको दिखाई है राह।।
बसी महक जो इनमें गिरी वह धड़ाम।
भाव किलो के बिके, गिरे उसका दाम।।

खोल उसे पढ़ लेना, बिखरे कितने रंग।
गढ़े शब्द तनहाई में, पढ़कर सब दंग।।
स्वर्णिम युग नहीं बीता,  करना प्रचार।
प्रेमचंद-अज्ञेय इसमें करना है उद्धार।।

हर युग की जिसमें गाथा है,  रखना उसका ध्यान।
हटा धूल को इसको पढ़ना, फिर से भरे उड़ान।।

अर्चना कोहली 'अर्चि'
नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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