Poems


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आज़ादी मिल गई

अर्चना कोहली 'अर्चि' / February 01, 2025

आज़ादी मिल गई

 "ओ सरस्वती! कुछ दिन पहले तेरा मरद पूरा हो गया और तू तिरंगा उठाकर खुशियाँ मना रही है। स्वतंत्रता दिवस तो कब का निकल  गया और गणतंत्र दिवस आने में तो अभी बहुत दिन हैं।" रामलाल ने सरस्वती से कहा।

"अच्छा हुआ दादा। हम सबको उससे आज़ादी मिल गई।"

"क्या कह रही है सरस्वती। तेरा मरद था वो। कैसी जोरू है तू।"

"काहे का मरद! करता- धरता तो कुछ नहीं था। बस सारा दिन नशे में धुत्त होकर मुझसे और बच्चों से मार- कुटाई करता था। जो भी थोड़ा बहुत मैं कमाकर लाती थी, सब नशे में उड़ा देता था। बच्चों को भी उसने लड़- झगडकर स्कूल से उठवा लिया।  अब बच्चे भी औरों के बच्चों की तरह आज़ादी से स्कूल जा सकेंगे। शिक्षा पाने का उनका भी अधिकार है न दादा!"

अर्चना कोहली 'अर्चि' (नोएडा)

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