राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
October 2, 2021
अर्चना कोहली 'अर्चि' / June 13, 2024
मिले पुरुष को हार है, कैसा वह लाचार।
सहता वह हर वार है, मन में है चीत्कार।।
कटु वचनों से टूटता, लगते हैं आरोप।
पाता कारागार है, मन होता है तार।।
भले निर्दोष हो सदा, हो जाता बदनाम।
चर्चे हैं अखबार में, मिलती है धिक्कार।।
पत्नी-माँ के बीच में, बनता रहे त्रिशंकु।
भले रीढ़ परिवार की, पर नैया मँझधार।।
नारी के अपमान पर, होता रहता शोर।
जब दुराचार मर्द से , रहता चुप संसार।।
नारी हक की आड़ में, करे गलत ही काम।
बनता वही शिकार है, कैसे पाए पार।।
पुरुष प्रधान समाज में , होता वह बेहाल।
कहे अर्चना बात यह, जीवन मत हो
भार।।
अर्चना कोहली 'अर्चि'©️®️
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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