Poems


Poems

स्वामी दयानंद सरस्वती

अर्चना कोहली 'अर्चि' / March 5, 2022

हमारे देश में हुए असंख्य ऋषि-संत महान

सत्कर्मों से स्वदेश में ले आए वे नव-विहान।

मानव-जाति का किया था उन सबने उद्धार

सच्चे अर्थों में भू को दिया अनमोल उपहार।।

इसी कड़ी में दयानंद का भी जुड़ गया नाम

समाज सुधारने हेतु किए असंख्य ही काम।

टंकारा में जन्म हुआ 12 फरवरी 1824 को

बचपन में पाया था मूलचंद तिवारी नाम को।।

आधुनिक भारत के थे दयानंद महान चिंतक

देशभक्त और आर्य समाज के थे संस्थापक।

विरोध किया कुरीतियों और अंधविश्वास का

नारी को मूल सेतु माना सशक्त समाज का।।

सत्य  की खोज के लिए त्याग दिया था गेह

सिखाया जनमानस को सभी से करना नेह।

1857 के समर में दिया था अमोल योगदान

अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध चलाया अभियान।।

ज्ञान की चाहत में विरजानन्द को गुरु बनाया

मार्गदर्शन में उनके समाज का उद्धार किया।

मूल सिद्धांत माना कर्म और कर्म-फल को

सदैव ही निरर्थक मानते थे मूर्ति पूजा को।।

वेदों की सत्ता को उन्होंने सर्वोपरि माना था 

‘वेदों की ओर लौटो’ यह उनका ही नारा था।

महर्षि कहलाए वेदमंत्रों का भाष्य करने से

प्रभावित थे सभी उनकी ओजस्वी वाणी से।।

आर्यभाषा का दर्जा दिया था प्यारी हिंदी को

महत्ता मिली हिंदी-संस्कृत-वैदिक भाषा को। 

रच दिया कालजयी ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश को

प्रभावित कर दिया था संपूर्ण जनमानस को।।

बतलाए सभी को आपने दर्शन के चार अंग

कर्म-सिद्धांत-ब्रह्मचर्य-पुनर्जन्म-सन्यास संग।

जानकर मिथ्या आडंबरों से हो गया मोह भंग

सत्य की अनुभूति से जनमानस हुआ था दंग।।

साजिश के तहत विलुप्त हुआ अमोल सितारा

ज्ञान का प्रकाश फैलाकर अंतर्धान हुआ तारा।

30 अक्टूबर 1883 को लुप्त हुए पंचतत्व में

आज भी वे बसते हैं हर भारतवासी के दिल में।।

चित्र आभार: गूगल से

Related Post

Reply to Archana

Contact

We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.

Address

Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India

Email Us

contact@archanakohli.com

archanakohli67@gmail.com