Poems


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रानी पद्मावती

अर्चना कोहली 'अर्चि' / January 22, 2023

रानी शौर्य-सौंदर्य का अप्रतिम पर्याय पद्मावती

बलिदान से उसके लाल हुई चितौड़-धरती।

बहुत  पतिव्रता थी रत्नसिंह की प्रिय रानी

इतिहास में अंकित है गौरवशाली कहानी।

खिलजी ने सुना पद्मावती का सौंदर्य-गान

पाने को रानी को अपने मन में लिया ठान।

मुकुर में देख प्रतिबिंब मन हुआ था मुदित

मन में उपजे फिर से विचार अति पतित।।

राजा को बंदी बना रचा था उसने षड्यंत्र

कुप्सित इरादा उसका हुआ था प्रदर्शित।

पर रानी के बुद्धि-चातुर्य को जान न पाया

युक्ति लगाकर रत्नसिंह को मुक्त करवाया।।

तब खिलजी के आक्रमण चितौड़ पर किया

अपार शक्ति से विजय का वरदान पा लिया।

राजपूतों के रक्त से रक्तिम हो गई थी धरती

पंचतत्व पर जाने को तैयार रानी पद्मावती।।

जलती समिधा बन स्वाहा हुई थी पद्मावती

अस्मिता हेतु जौहर करके हो गई थी सती।

खिलजी ने सौंदर्य-पान हेतु रचाया था खेल

पतिव्रता पद्मावती से हुआ न उसका मेल।।

जीतकर भी युद्ध पाया नहीं उसका बदन

कर न पाया खिलजी उसके मान का हनन।

सतीत्व की रक्षा हेतु न्योछावर हुई थी रानी

इतिहास में अंकित है गौरवशाली कहानी।।

अस्मिता बचाने हेतु इक अद्भुत कर्म  किया

सम्मान की खातिर अमिट एक संदेश दिया ।

इतिहास-पन्नों में वर्णित अगणित कहानियाँ

जब अस्तित्व-रक्षा हेतु दी गई हैं आहुतियाँ।।

अर्चना कोहली “अर्चि”

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