हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / January 21, 2023
संदूक नानी का था भानुमती-पिटारा
असंख्य यादों का मानो वो गलियारा।
आठवें अजूबे-सा कर देता विस्मित
हरेक कोने में अलग कहानी गुंफित।।
छिपा था कहीं पर कंचों का ख़ज़ाना
तो कहीं स्लेट-तख्ती का था ज़माना।
किसी कोने में पुराने पीले पत्र-भंडार
तो कहीं सजा था गुड़ियों का बाज़ार।।
संदूक में अनेक छोटी-बड़ी पोटलियाँ
उसमें रखी नाना-नानी की निशानियाँ।
संदूक में कहीं है कन्यादान का हिसाब
तो कहीं पर रखी है धार्मिक किताब।।
एक किनारे थे कुछ बहीखाते पुराने
खुशी-गम के भी भरे थे उसमें तराने।
धरोहर समान हर चीज़ इसमें सिमटी
रिश्तों की महक इसमें हुई है लिपटी।।
न तो हैं अब संदूक और न वो जमाना
तिजोरी का आज हर कोई ही दीवाना।
विरासत का सघन समंदर इसमें बहता
बिन कहे हरेक बात हमसे यह कहता।।
अर्चना कोहली “अर्चि”
We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.
Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India
contact@archanakohli.com
archanakohli67@gmail.com