हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / December 17, 2022
अच्छे-बुरे कर्मों के मूल में संगत की रंगत होती
अच्छे-बुरे इंसान यही संगत ही तो बना जाती।
दुर्योधन-रावण आदि बुरी संगत से विनष्ट हुए
तो अच्छी-संगत से अंगुलिमाल सत्मार्ग पर आए।।
अच्छी-संगत से ही जीवन सबका सुधर जाता
कस्तूरी समान जीवन सबका वह महका देता।
संस्कारों की पृष्ठ-भूमि संगत की रंगत से ही है
शिष्टाचार-बल पर जग में उनका नाम हुआ है।।
भलाई करने का जज्बा उनमें ही तो मिलता है
अच्छी संगत में रहने से सदा ही भला होता है।
सच्ची-मानवता अच्छी संगत में ही पनपती है
बंधु-समान सर्वदा अच्छी सलाह दे जाती है।।
बुरी-संगत खराब फल-सब्जी समान होती है
बना-बनाया सारा काम हमारा बिगाड़ जाती है।
आवरण लगा धोखा बुरी संगत वाले ही देते हैं
परिवार-कुल का नाश ऐसे लोग ही करते हैं।।
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