Poems


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संगत की रंगत

अर्चना कोहली 'अर्चि' / December 17, 2022

अच्छे-बुरे कर्मों के मूल में संगत की रंगत होती

अच्छे-बुरे इंसान यही संगत ही तो बना जाती।

दुर्योधन-रावण आदि बुरी संगत से विनष्ट हुए

तो अच्छी-संगत से अंगुलिमाल सत्मार्ग पर आए।।

अच्छी-संगत से ही  जीवन सबका सुधर जाता

कस्तूरी समान जीवन सबका वह   महका देता।

संस्कारों की पृष्ठ-भूमि संगत की रंगत से ही है

शिष्टाचार-बल पर जग में उनका नाम हुआ है।।

भलाई करने का जज्बा उनमें ही तो मिलता है

अच्छी संगत में रहने से सदा ही भला होता है।

सच्ची-मानवता अच्छी संगत में ही पनपती है

बंधु-समान सर्वदा अच्छी सलाह दे जाती है।।

बुरी-संगत खराब फल-सब्जी समान होती है

बना-बनाया सारा काम हमारा बिगाड़ जाती है।

आवरण लगा धोखा बुरी संगत वाले ही देते हैं

परिवार-कुल का नाश ऐसे लोग ही करते हैं।।

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