Poems


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यादों की बेलगाम करवटें

अर्चना कोहली 'अर्चि' / June 6, 2022

यादों की बेलगाम-सी हैं करवटें

सुख-दुख की अनगिनत सलवटें।

भागती-दौड़ती रहती यादें सरपट

यादें होती हैं एक विस्तृत पनघट।।

यादों की पिटारी में बसा है बचपन

बेलगाम यादें हैं दिल की धड़कन।

छोटा घर मेरा पर दिल था विशाल

माँ-नानी-दादी के नेह का था ताल।।

अतिथियों का तब सदा लगे मेला

कोई नहीं रहता था कभी अकेला।

माता-पिता के प्यार की सुंदर लटें

अहसासों की सुंदर चहचहाहटें।।

दुखद-सुखद ये यादें करें कलकल

हृदय में मचाती रहती हैं हलचल।

भूलें कैसे नैनों से बहती हुई झड़ी

स्मृति पटल में अंकित सुंदर कड़ी।।

अर्चना कोहली “अर्चि”

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