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पर्यावरण और साहित्य

अर्चना कोहली 'अर्चि' / June 6, 2022

अति जरूरी पर्यावरण संरक्षण

द्रुत गति से हो रहा है क्षरण।

पंच तत्वों से निर्मित हमारा तन

महत्ता भूल रहा उसकी हर जन।।

शाश्वत ग्रंथ वेद-पुराण-उपनिषद

कालिदास-कल्हण हों या बाण।

सभी में इसकी महिमा है वर्णित

सबने ही किया इसे परिभाषित।।

प्रकृति है मानव के लिए उपहार

बिन उनके जीवन होगा निराधार।

साहित्यकार सभी इससे परिचित

तभी साहित्य द्वारा हुई अलंकृत।।

सुमित्रानंदन पंत हों या कालिदास

सभी को था महत्ता का आभास।

लेखनी द्वारा फैलाए थे इसके घेरे

कई साहित्यकार बने प्रकृति चितेरे।।

साहित्य में बिखरी पड़ी ये प्रकृति

महत्वपूर्ण है ईश की ये सुंदर कृति।

दूषित होने से ही फैला महासंकट

अशुद्धिकरण से सब हो रहा नष्ट।।

साहित्य ने सदा इसे दर्पण दिखाया

पर्यावरण के प्रति अटूट प्रेम जताया।

अप्रत्यक्ष रूप से दिया एक मूलमंत्र

पर्यावरण सुरक्षा में ही स्वास्थ्य तंत्र।।

साहित्य-पर्यावरण हैं अभिन्न अंग

शुद्ध पर्यावरण से जीवन में हों रंग।

लेखनी द्वारा जब भी होगा शंखनाद

तभी तो जागृति का फैलेगा निनाद।।

अर्चना कोहली “अर्चि”

चित्र आभार: unplash. Com

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