Poems


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प्रेम का चढ़ा बुखार

अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 30, 2022

चलचित्र देख प्रेम का चढ़ा था बुखार

सोचा,पतिदेव भी ऐसे ही करें प्यार।

उपहारों का घर में लगा दें वे अंबार

बस साल में सैर करवा दें चार बार।।

 

कच्चा-पक्का भोजन जाएँ वे निगल

फेसबुक नाम पर करें न कभी दंगल।

घुमाएँगे न कभी भी नैन अगल-बगल

तभी रहे घर में सदा मंगल ही मंगल।।

 

कविता सुना-सुनाकर खूब पकाऊँगी

बिना तड़के के ही स्वाद मैं उठाऊँगी।

बोर रचना भी चटकारे लेकर वे सुनेंगे

प्रेम में मेरे सहन सभी कुछ कर लेंगे।।

 

नाक-सीध पर सीधे ऑफिस जाएँगे

लौटते समय खाली हाथ न वे आएँगे।

अरे,अरे! एक बात तो कहना गई भूल

सौभाग्य में मेरे ही है ऐसा पति कूल।।

 

तभी सुनी उनकी क्रोध भरी आवाज़

ये फिर बना दी है तुमने भिंडी आज।

बातें सुन उनकी उतर गया था बुखार

चलचित्र-सी उनको रही थी निहार।।

अर्चना कोहली “अर्चि”

चित्र आभार: unplash. Com

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