हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 19, 2022
वैशाख की पूर्णिमा को अवतरित
सत्कर्मों से उनके वसु है विभूषित।
मान्यता विष्णु के हैं नौवें अवतार
संयमित जीवन का दिया विचार।।
जन्म-मरण का बंधन है चलायमान
सिद्धार्थ-चित्त में हुआ इसका भान।
दुख देख जग के अन्तःकरण द्रवित
जरा-रोग-मृत्यु देख हुए थे उद्वेलित।।
मधुकर-सी थी उनको ज्ञान पिपासा
अहर्निशं बढ़ती ही जाती जिज्ञासा।
सत्य के शोध का किया था निर्धारण
मंथन से जाना, क्या है दुख-कारण।।
नीरव अरण्य ओर किया था प्रस्थान
अंगज-भार्या तज चले राह अनजान।
गेह-त्याग ने बनाया उन्हें गौतम बुद्ध
सघन साधना से बन गए थे विबुद्ध।।
प्रेम-करुणा के बने अद्भुत वे उद्धरण
ज्ञान-पुँज का सृष्टि में किया विकिरण।
बौद्ध धर्म के थे गौतम बुद्ध संस्थापक
भारत के बने महान समाज-सुधारक।।
बोधिवृक्ष तले हुआ सत्य-साक्षात्कार
जीवन का समझ लिया उन्होंने सार।
सारनाथ में दिया था प्रथम धर्मोंपदेश
बहुत ही सारगर्भित हैं इनके संदेश।।
तथागत-शाक्य मुनि नाम से प्रचलित
जग में रहते हुए भी सदा रहे निर्लिप्त।
सौम्यता से हुआ प्रभावित अंगुलिमाल
उत्सर्ग किया दुष्कर्मों का भँवरजाल।।
सुंदर विचारों से जीवन बनता सुखद
गौतम बुद्ध ने हमें बताई बात विशद।
तृष्णा के मूल में है दुखों की पयस्विनी
उपदेशों में बहती है ज्ञान-स्रोतस्विनी।।
बुद्ध ने दिए पालि भाषा में व्याख्यान
त्रिपिटक में संकलित है वर्णित ज्ञान।
बुद्ध थे आध्यात्मिक गुरु अति महान
आज चहुँदिश में है उनका यशोगान।।
कुशीनगर में पाया महापरिनिर्वाण
बुद्धत्व से अंत तक दूर किया त्राण।
आम्रपाली-अशोक भी हुए प्रभावित
बौद्ध धर्म अपनाकर थे वे प्रमुदित।।
सिद्धार्थ से बुद्ध बनना नहीं है सुकर
अग्निपथ-सा होता वह अत्यंत दुष्कर।
मोह-बंधन तोड़ जो रहता है निर्विकार
वही मानवता कल्याण हेतु करे उद्धार।।
चित्र आभार: (गूगल से)
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