Poems


Poems

नव वर्ष

अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 5, 2022

छँटने को है अब गत वर्ष की बुरी विभावरी

फैलने को आतुर नव-अभिलाषाएँ सुनहरी।

नवीन भिनसार से पुन: मन हुआ उल्लसित

धीरे-धीरे हर्ष-रेख से जन हुआ है प्रफुल्लित।।

संकट का ये काल नही हमारे लिए सुकर था

क्रूर काल के हाथों से बचना बहुत दुष्कर था।

विगत वर्षों की आपदाओं से मन है व्यथित

खुशी की सुंदर लहर से भारत हो सुवासित।।

अविलंब ही कालिमा युक्त रात्रि का हो नाश

नए साल की अभिलाषा है न हो कोई हताश।

विश्व-गुरु भारत का विश्व-पटल पर नाम हो

देश के हर नागरिक के हाथ में ही काम हो।।

सुंदर स्वप्न फिर से उच्च उड़ान को तत्पर हैं

लक्ष्य-प्राप्ति हेतु योजनाएँ उनकी प्रखर हैं।

विगत वर्ष की कड़वी यादों का न हो सवेरा

प्रेम-विश्वास-अहिंसा का सदैव हो बसेरा।।

यद्यपि अभी भी खतरे में मानव-जीवन है

ओमिक्रॉन देश में फैला रहा अपना फन है।

पुरानी याद से सीख ले जीवन करें संयमित

नव-अभिलाषाओं से जग करें आलोकित।।

नवीन पौध का जैसे धीरे से होता अंकुरण

वैसे ही 2022 में स्वप्नों का हो विकिरण।

हरेक दुख-द्वेष-ईर्ष्या-कलह का हो संहार

विश्वबंधुत्व-भावना का हो सदा ही प्रसार।।

Related Post

Reply to Archana

Contact

We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.

Address

Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India

Email Us

contact@archanakohli.com

archanakohli67@gmail.com