हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / April 20, 2022
अंतर्मन की गहराइयों में दबे मेरे एहसास हैं
संघर्ष-तपन से छिटक गए सारे उल्लास हैं।
एकांत में ही सुंदर ख्वाबों का मंजर उठता है
सोए हुए सभी अरमानों को जगा वह देता है।।
जिन ख्वाहिशों के बीज दिल में कभी बोए थे
कैसे वही एहसास समय-चक्र-से खो गए थे।
एक समय था कल्पना-लोक में हम विचरते थे
सुंदर एहसासों से रोज़ ही गुफ्तगू करते रहते थे।।
कभी इन्हीं सुंदर एहसासों से दिल आबाद था
नयन-बरखा से अब महल हो गया बरबाद था।
चुन-चुनकर हमने मोती समान संभाला था
जज्बातों को सुंदर-माला रूप में ढाला था।।
एहसासों की इसी इमारत पर जीवन खड़ा है
अरमानों की बंजर-जमीं से अभी भी जुड़ा है।
दामन में मेरे जो कभी खुशी का ही बसेरा था
चिड़ियों की चहचहाहट से भरा ही सवेरा था।।
सुख दुख दोनों ही एहसास संग हमारे रहते
कभी लफ्जो पे तो कभी कागज पे वे उतरते।
मेरे एहसास रोज ही कहानी नई बयां करते हैं
कभी दर्द तो कभी हँसी की सब बातें कहते हैं।।
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