हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / August 16, 2021
आँसुओं के साथ हमारा अजीब नाता है
गम हो या खुशी बहने को बेताब रहता है।
दुख से जब दिल हमारा भारी हो जाता है
तब आँसू ही शांत हमारा मन कर देता है।
अपार खुशी जब जीवन में किसी को मिलती
तब खुशी व्यक्त करने को आँखें भर आती।
बेटी जब दुलहन बनकर घर से विदा होती
तब अश्क बहाकर ही जी वह हलका करती।
जिंदगी में जब अपना कोई बिछड़ जाता
तो जिंदगीभर का गम आँसू रूप में दे देता।
खुशी हो या गम अश्क अलग-अलग रूप दिखलाता
कभी खोने का तो कभी पाने की बात बतला जाता।
जिंदगी में अश्क का हरेक रूप ही निराला होता
कभी क्रंदन तो कभी उल्लास दिखला जाता।
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