हमारी संस्कृति
October 28, 2023
अर्चना कोहली 'अर्चि' / August 9, 2021
सौंधी-सौंधी मिट्टी महक नथुनों में भर जाती
हरित-वृक्षों की सुंदर पंक्तियाँ गाँव याद दिलाती।
शुद्ध घी-दूध और मिठाइयों का वास है जहाँ पर
शीतल-मन्द हवा के झोंके चलते रहते वहाँ पर।।
प्रात:काल की सुंदर लाली के दर्शन वहीं पर होते
विहगों की सुंदर चहचहाहट मन हमारा मोहते।
प्रकृति की अद्भुत-सुंदरता गाँवो में नजर आती
चौपाल पर बैठकर मित्रों की मंडली वहीं जमती।।
पोखर-तालाब को भला कैसे कोई भूल जाए
गाँव जैसा अपनत्व भला महानगरों में कहाँ पाए।
प्यारे त्योहारों की असली-मस्ती गाँव में ही है
उड़ती पतंग के पीछे भागते बच्चों की टोली है।।
हँसी-ठिठोली से सर्वदा गली-मोहल्ले गूंजते रहते
शादी-ब्याह में बिन भेदभाव के मिल काम करते।
प्राण-वायु आक्सीजन से प्रदूषण वहाँ हवा हुआ है
शीतल-सुहानी हवा से ए.सी. भी अब फेल हुआ है।।
प्रकृति के सुंदर सानिध्य में रोग कोई हो न पाता
निज भाषा-बोली सम्मान भी वहीं पर पाया जाता।
गोधूलि मे पशुओ की चहल-पहल नजर आए
मिट्टी से बने घरों से निज देश की सुगंध पाए।।
काश! सरल-सरस ग्रामवासी गुण अपना जाऊँ
गाँव जैसा ही सुंदर शहर अपना बना पाऊँ ।
We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.
Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India
contact@archanakohli.com
archanakohli67@gmail.com