Poems


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मुझे बाहर आने से क्यों रोक दिया

अर्चना कोहली 'अर्चि' / August 7, 2021

ओ माँ!  जग में मुझे आने से क्यों रोक दिया

बातों में आकर कठोर अपने को बना लिया।

पैदा होने से पहले ही अपने से दूर कर लिया

मेरी किलकारियों को पहले ही मूक कर दिया।।

किस अपराध पर गोद  से अपनी वंचित कर दिया

मेरा क्रन्दन सुन भी बचाने को कदम न बढ़ाया।

मैं तो हृदय का अंश माँ तेरा मानी जाती हूँ

परिवार को जोड़ने का सेतु भी कहलाती हूँ ।।

मेरी तरह नाना-नानी भी जग में आपको न लाते

बोझ समझ आपको निज घर से दूर कर देते।

तो इस घर में बहू बनकर खुशियाँ   कैसे  मिलती

इस कुल की वंश-बेल भला कैसे आगे बढ़ती।

सृष्टिधार होकर भी इतनी मजबूर कैसे हो गई

मुझे जग में लाने को सबको मना क्यों न पाई।

मेरे जग में न आने पर ईश को भला क्या कहेगी

रक्त सने हाथों को भला कैसे पावन कर पाएगी।।

इसलिए ओ मां, भैया सम मुझे भी अपना ले

जिंदगी के हर सुख दुख का राजदार बना दे।

मैं भी पढ़-लिखकर कुल का नाम बढ़ाऊँगी

भाई समान मैं भी विकास भागीदार कहलाऊँगी।

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