Poems


Poems

चूज़े का अंतर्मन

अर्चना कोहली 'अर्चि' / July 17, 2021

अंडे से निकल चूज़ा चकित हो सर्वत्र ही देख रहा

प्यारी अद्भुत दुनिया का अवलोकन कर रहा।

सोच में निमग्न भविष्य का ताना-बाना बुन  रहा

सुरक्षा कवच टूटे अंडे को निर्मिमेष देख रहा।।

अंधकारमय अंडे में ही सिमटा संसार था

सुरक्षा-कवच में हर संघर्ष से आजाद था।

नव-प्रकाश युक्त जग को भूल-भुलैया मान रहा

मन में इसे एक स्वप्न-लोक-सा ही मान रहा।।

अंडज से उत्पन्न वह चूज़ा कुछ आशंकित था।

आगामी विपदाओं से कुछ भ्रमित हुआ था।

सुरक्षा कवच अंडे को टूटा देखकर विहृल

था।

अंधकारमय अंडे को ही तो दुनिया माना था।

कुछ समय बाद जीवन-संघर्ष से पाला पड़ेगा

दाने-पानी-घरौंदे  के लिए इधर-उधर भटकना होगा।

यद्यपि अभी कुछ दिन मां की ममता की छांव है

फिर तो जीवन के लिए कठिन कर्म करना है।।

पर परिवर्तन तो प्रकृति के शाश्वत नियम होते हैं

विनाश-निर्माण सभी ही इसका अट्टू अंग होते हैं।

जीवन-संघर्ष से अगर तू इतनी जल्दी घबराएगा

सुंदर प्रकृति पर जीने का लुत्फ कैसे उठाएगा।।

((Photo by Toni Cuenca on Unsplash))

Related Post

Reply to Archana

Contact

We'd love to hear from you! Send us a message using the form below.

Address

Sector-31 Noida,
Noida, U.P.(201301), India

Email Us

contact@archanakohli.com

archanakohli67@gmail.com