Poems


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पिता एक मजबूत संबल

अर्चना कोहली 'अर्चि' / June 26, 2021

हम बेटियां मां की नहीं पिता की दुलारी होती

हरेक उलझन का समाधान पिता से ही करवाती।

वटवृक्ष सी मजबूत छांव आप बिन कैसे पायेंगे

आपकी छत्रछाया बिन भला कैसे रह पायेंगे।।

कठोर संघर्ष सहकर इच्छाएं हमारी पूर्ण करते

आंखों से हमारी एक आसूं भी बहने नहीं देते।

शीत में सुनहरी धूप सा अहसास आप करवाते

आशा की किरन बन प्रेरणा शक्ति मुझमें भरते।।

नन्हे-नन्हे कर पकड़कर आपने ही चलना सिखाया

कंधों पर अपनी बिठाकर मुझे घुमाया फिराया।

नारिकेल सम कठोर- कोमल रूप भी दिखाते

मां की डांट से भी आप ही सर्वदा मुझे बचाते।।

बचपन से लेकर आज तक साथ निभा रहे

परिवार खातिर जी-तोड़ मेहनत करते रहे ।

जब कभी डरकर हम कदम पीछे हटाना चाहते

मजबूत हौसला बनाकर सामने आ खड़े होते।।

आपके त्याग बलिदान का क्या बखान करूं

आपका किन शब्दों से धन्यवाद व्यक्त करूं।

कभी भी मेरी नजरों से ओझल न होना पापा

खुशियों का दीप बन सदैव मेरे संग रहना पापा।।

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