Poems


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मोबाइल है इक अजब-सी पहेली

अर्चना कोहली 'अर्चि' / February 20, 2017

मोबाइल है इक अजब-सी पहेली
सबके हाथों की है वह कठपुतली।
विज्ञान ने कैसा चमत्कार कर दिया
सबको अपना दीवाना बना दिया।।

नानी-दादी की कहानियाँ लगे बोर
मोबाइल के आगे सब हुआ गोल।
सोशल मीडिया पर सब व्यस्त रहते
कविता-कहानी के ग्रुप ज्वॉइन करते।

डिजिटल ने दिया मोबाइल का उपहार
सबको है एक मोबाइल की दरकार।
बच्चे-वृद्ध-युवा सब मोबाइलमय हुए
पुराने रिश्ते भूल नए रिश्ते गढ़ रहे।।

नित नए-नए मित्र मोबाइल से बनते
ज्ञान-विज्ञान के मेले इसमें लगते।।
नए-नए व्यंजनों की कक्षा लगती
बागवानी की भी तकनीक इसमें होती।।

कोरोना काल में मोबाइल बना वरदान
इससे ही मिला सबको शिक्षा का उपहार।
मौन रहकर ही हमारे सब कार्य कर देता।
तनहाई में हमारा साथी बन जाता।।

गुणों के साथ अवगुण भी हैं इसकी
अच्छाई के साथ बुराई भी है इसकी।
मोबाइल में ही सब लोग व्यस्त रहते
तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त रहते।

बचपन के सुहावने दिन सब भूल गए
प्यारी-प्यारी मस्तियाँ याद न आए।
सब रिश्ते-नाते भूल इसमें मन लगाते।
शादी-ब्याह में न जाने के बहाने बनाते।।

चिठ्ठी-पत्री कोई लिखना-पढ़ना न चाहे
व्हाटसएप में संदेश भेजने में लगे रहें।
आदत में शुमार हो गया है मोबाइल
खो गया इसकी होड़ में सारा बचपन।।

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