Poems


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जज्बात

अर्चना कोहली 'अर्चि' / February 11, 2017

मन में उमड़ रहे हैं जज्बात प्यारे
अँखियों में बस रहे ख्वाब सुनहरे।
कहने को कुछ थरथराए मेरे अधर
मिली है तुमसे जबसे मेरी नज़र।।

छिप-छिपकर ओट से तुझे देखना
कपोलों पर मेरे लाली का फैलना।
सब मुझे अच्छा लगता है साजन
सूरत है तेरी मोहक ओ साजन।।

सोलह श्रृंगार किया तेरे लिए ही
सजी मैं प्रिय साजन तेरे लिए ही।
सब यत्न तेरी सजनी बनने के लिए
तैयारी सब दुल्हन बनने के लिए।।

नेत्रों में काजल, माथे पर बिंदी है
वक्त अब दुल्हन बनने का आया है।
हर सजनी प्रिय साजन की राह देखे
साजन निज सजनी की राह देखे।।

मन मंदिर में मेरे तुम्हीं बस गए हो
ख्वाबों में अब तुम्हीं समा गए हो।
इंतजार भी अब मीठा- मीठा सा है
छिपकर निहारने का भी मजा है।।

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