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बचपन हमें भी जी लेने दो

अर्चना कोहली 'अर्चि' / May 26, 2025

बचपन हमें भी जी लेने दो

सूरज भैया क्यों करते हो शैतानी
  हमको परेशान करने की क्यों ठानी।
सुबह-सवेरे उठाने हमें आ जाते
  क्या सुंदर सपने  नहीं ‌तुम्हें हैं भाते।।

सरदी में सन-सन करके हवा डराती
 गरमी में स्वेद बूँदें तन से टपकाती।
  इतवार को भी छुट्टी नहीं लेते हो
   चैन क्यों नहीं हमको लेने देते हो।।

सुबह-सुबह तुम लगते हो आग से लाल
क्या मम्मी की डाँट से हुआ है यह हाल।
शाम को भी तुम्हारा चेहरा है लाल
 लगता काम से तुम भी होते बेहाल।।

माना बिना आपके नहीं है सवेरा
  हो जाएगा सब दिशा में ही अँधेरा।
पर कुछ मस्ती हमको भी तो करने दो
 प्यारा बचपन  हमको  भी जी लेने दो।।

अर्चना कोहली अर्चि 
नोएडा (उत्तर प्रदेश)

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